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कमाल है कवि आज के ।।

कमाल है कवि आज के ।
पंडित है शब्द साधक खुद को कहते है ।
दूसरों को शब्दों से पीड़ा पहुँचाते है ।
खूद को ग्यानी, सर्वश्रेष्ठ कवि कहते है ।
कमाल है कवि आज के ।।1।।

हम क्या है?
हमारी औकात क्या हिन्दी के आगे ।
खूद को हम युवा कहते दूसरों की ना निंदा करते ।
यही हमारी लेखनी का वरदान है ।
यही हिन्दी का ग्यान है ।।2।।

माता के आगे बालक सदा छोटा ही सुहाता है ।
बड़़ा होकर क्या करेगा खुद को बर्बाद करेगा क्या ?
संस्कृत हो या हिन्दी, उर्दू हो या फारसी ।
सब माता ममता के आगे फीका है ।
जिसे भाषा पे अहंकार है,
वह हिन्दी का संतान कहाँ ?
कवि विकास कुमार

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