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कलम के नखरे

किसी कलमकार की कलम के नखरे हजार देखो,
कहीं बनाती किसी की ज़िन्दगी तो कहीं ये बिगाड़ देखो,

किसी अस्त्र से कम नहीं है वजूद इसका,
चाहे तो गिरा दे किसी के भी तख्तो ताज देखो,

अर्श से मिला दे तो कभी फर्श पर ये उतार फैंके,
कभी हकीकत तो कभी कोरे कागज़ पर दे ख्वाब उतार देखो॥

राही (अंजाना)

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