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कविता- जीत लेंगे |

कविता- जीत लेंगे |
अबतक तो जीते है हम आगे भी जीत लेंगे|
विजय भारत नाम इतिहास पन्नो लिख लेंगे |
लड़ी है लड़ाइया कितनी हार ना मानी हमने |
छुपे दुश्मन कोरोना को हम बाहर खींच लेंगे |
भारत हर खासो आम देश के साथ लड़ाई मे |
जरूरत पड़ी वतन को अपने लहू सींच लेंगे |
थोड़ा असर तो दिखाया दुशमन ने आते आते |
मरने ने देंगे किसी अपने उसे बांहों भींच लेंगे |
कभी डरे नहीं क्यो डरे हम दुश्मन कायर से |
हमारी लड़ाई हम ही लड़कर खुद जीत लेंगे |
अपना ही नहीं हमे दुनिया का भी ख्याल है |
बचाकर जान गैरो दुनिया को हम सीख देंगे |
फैलाया कोरोना वाइरस चीन मानवता दुशमन |
सुखी रोटी खाये मगर ना हम उससे भीख लेंगे |
हो चुका अधमरा कोरोना कातिल अबतब है |
निकलेंगे जल्द हम घरो ईश्वर हम आशीष लेंगे |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

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