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कविता- धागा राखी का |

कविता- धागा राखी का |

धागा राखी का भाई बहन का है प्रेम बंधन |
तोड़ने से टूटे ना लगाए बहना टीका चन्दन |
बहना की दिया रक्षा का वादा निभाना भईया |
तुम ही हो मेरी लाज का सदा सहइया |
भाई की कलाई में बांधा धागा प्यार का |
रहेगा इंतजार हरदम भाई के दुलार का |
पड़े जब भी जरूरत तू मुझे याद करना |
दौड़ा चला आऊँगा याद रखना मेरी बहना |
तू खुश रहे सुखी तेरा घर संसार रहे |
रहो दुलारी हमारी जबतक ये संसार रहे |
आए न कोई दुख तुमको भाव यही हमारा है |
सजा रहे सिंगार तेरा दुआ यही हमारा है |
महके तू बनके सुमन सदा घर आँगन में |
चहको सदा मेरी बहना मेरे मन भावन में |
दूर रहके भी तू सदा मेरे पास रहे मन में |
कमी कभी कोई न हो भरा रहे घर धन में |
रक्षा बंधन का त्योहार आज है आया |
बांध दो धागा प्यार का तेरे पास है आया |
मुंह मीठा कर लो मिठाई से जीवन मिठास रहे |
रोग शोक ताप कभी न बहना तेरे पास रहे |
उतारूँ आरती तेरी भईया विजय सदा तू करना |
करूँ प्रार्थना साथ न छूटे भईया खुश सदा तू रहना |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
गीतकार /कवि /लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड -मोब . 9955509286

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