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कविता

तुझ में पाया था प्रेम बहुत ,
सार्थक लगता था जीवन कुछ,
आंखों में प्रेम की बारिश थी,
कुछ कही- अनकही गुजारिश थी ।
मन भीग गया तन भीग गया,
ऐसी वो सुहानी बारिश थी।
निमिषा सिंघल

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