कविता NIMISHA SINGHAL 5 years ago तुझ में पाया था प्रेम बहुत , सार्थक लगता था जीवन कुछ, आंखों में प्रेम की बारिश थी, कुछ कही- अनकही गुजारिश थी । मन भीग गया तन भीग गया, ऐसी वो सुहानी बारिश थी। निमिषा सिंघल