ले चल साकी!
मुझे दरिया के पास
मेरा मन बहुत प्यासा है
मचल पड़ता है ये कांच का दिल
जब वो मेरे करीब आता है
बोल दो उसे-
“मैं उसका नहीं किसी और का हूँ”
अाने देना उसे अगर वो
फिर भी मेरे पास आता है..!!
ले चल साकी!
मुझे दरिया के पास
मेरा मन बहुत प्यासा है
मचल पड़ता है ये कांच का दिल
जब वो मेरे करीब आता है
बोल दो उसे-
“मैं उसका नहीं किसी और का हूँ”
अाने देना उसे अगर वो
फिर भी मेरे पास आता है..!!