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काम कर कोई नेक

जेब मे भरकर नोट,
और मन मे भर कर खोट,
दुसरो के लिए गढ्डा खोद,
पाप की गठड़ी कंधो पर उठा ,
चला ढूंढने बरगद की ओट.
पैसा खूब कमा लिया,
और सोचे पैसा ही दुनिया को चलाए है,
पर सच तो है की,
निर्धन और धनवान को
सिर्फ भूख -प्यास ही नचाये है.
बोझ तू अपना हल्का करके देख,
मिलेगी गर्मी मे राहत और सर्दी मे सेंक,
बैठना फिर बरगद के सहारे तू लगाके टेक,
एक बार तो काम कर कोई तो नेक.

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