काम कर कोई नेक
जेब मे भरकर नोट,
और मन मे भर कर खोट,
दुसरो के लिए गढ्डा खोद,
पाप की गठड़ी कंधो पर उठा ,
चला ढूंढने बरगद की ओट.
पैसा खूब कमा लिया,
और सोचे पैसा ही दुनिया को चलाए है,
पर सच तो है की,
निर्धन और धनवान को
सिर्फ भूख -प्यास ही नचाये है.
बोझ तू अपना हल्का करके देख,
मिलेगी गर्मी मे राहत और सर्दी मे सेंक,
बैठना फिर बरगद के सहारे तू लगाके टेक,
एक बार तो काम कर कोई तो नेक.
Nice
Thenks to comment. Pl, comment on my poem कमजोर हूँ थोड़ी पढ़ाई मे
सच्ची बात!
थैंक्स to कमेंट. Plz कमेंट on कमजोर हूँ थोड़ी पढ़ाई मे
nice
धन्यवाद
wah kya baat h
जेब में भरकर नोट बहुत सुंदर रचना
वाह लाजबाव रचना
Good
Nice