किश्तों में ही मिली, तेरी मुहब्बत हमें।
जो ना मासिक थी, न ही सालाना।
पल दो पल की मुलाकातें थीं।
ना रूठना हुआ, ना मनाना।
कभी एक-मुश्त मिले होते, तो हम करते जी भर के दीदार तेरा।
पर शायद हमारे नसीब में ही नहीं था प्यार तेरा।
किश्तों में ही मिली, तेरी मुहब्बत हमें।
जो ना मासिक थी, न ही सालाना।
पल दो पल की मुलाकातें थीं।
ना रूठना हुआ, ना मनाना।
कभी एक-मुश्त मिले होते, तो हम करते जी भर के दीदार तेरा।
पर शायद हमारे नसीब में ही नहीं था प्यार तेरा।