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किसान

दो रोटी देने को तुमको,
रह जाता है भूखा वो;
दूध-दही देने को तुमको,
खा लेता है सुखा वो,
कभी बारिश कभी जाड़े में;
फसल हो जाती हैं चौपट,
माँगता है बस मेहनताना;
नहीं माँगता वो फोकट।
बेईमानी चोरी आदि से,
रहता कोसो दुर है;
चलता सन्मार्ग पर वह है,
करता मेहनत भरपूर है;
फिर भी दशा वही है उसकी,
स्तर नहीं सुधरता है
करता हैं क्यों आत्महत्या?
दुख से क्यों गुजरता है?

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