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कीमत खुद की

जो समझते नहीं कीमत खुद अपनी,

अक्सर बिक जाते हैं वो सस्ते में बाज़ारों में,

कहीं लगते हैं ऊँचे दाम किसी की काबलियत के,

तो कहीं बेमोल खरीद लिए जाते हैं शख्स यहाँ ज़माने में,

कहीं तो परख लिए जाते हैं हुनर दिखाए बिना भी यहाँ,

कहीं सारे हुनरो को दिखाकर भी कुछ पाते नहीं हम ज़माने में॥

-राही (अंजाना)

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