कुछ अलग ही दिख रहा हूँ Satish Chandra Pandey 4 years ago कविता कहाँ मैं आजकल बस उलझनें ही लिख रहा हूँ, सामने हूँ आईने के कुछ अलग ही दिख रहा हूँ। भूल कर पहचान खुद की मुग्ध हूँ अपने ही मन में, उड़ रहा आकाश में मुश्किल जमीं में टिक रहा हूँ।