कुछ इस तरह से इक rajesh arman 8 years ago कुछ इस तरह से इक शाम गुजारी है अपने हिस्से के गम से की वफादारी है कुछ टुकड़ो में बाँट के रख दिया ग़मों को अपने साथ हमने की इस तरह फौजदारी है राजेश’अरमान’