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कुछ पल

कुछ पल

बन जाते हैं

सब कुछ।

 

कुछ पल

कह देते हैं

खुद ही कुछ।

 

कुछ पल

छोड़ते नहीं

संग में कुछ।

 

कुछ पल

जिनका मिलता नहीं

किसीकी को भी

कोई भी हल।

 

कुछ पल

यूँ ही

जाते हैं ढ़ल।

 

कुछ पल

टिकते नहीं

कुछ भी पल।

 

कुछ पल

रहते वहीं सदा

आज़ और कल।

 

कुछ पल

खो जाते हैं कहीं

हो जाते हैं गुम

बनकर सबसे हसीं पल।

 

कुछ पल

रूलाते हैं बहुत

जब याद जाएँ

किसी पल।

 

कुछ पल

देते हैं सकून

अगर मिल जाएँ

कुछ ही पल।

 

कुछ पल

जो सस्ते हैं आज़

क्या पता

महँगे हो जाए कल।

 

 

 

कुछ पल

कर देते हैं

जीना मुश्किल।

 

कुछ पल

होते हैं

हर समस्या का हल।

 

कुछ पल होते हैं

जीवन के हालात

सँवारने के लिए

डरना नहीं

क्योंकि ये हो सकते हैं

तुम्हे तपाने के रास्ते

साथ लिये हुए

चलते हैं तुम पर

व्यंग्य कसते हुए।

 

कुछ पल होते हैं

जीवन में निखार लाने के लिए

लगते हैं वो पल

कईं बार

तुम्हे ही कैद करते हुए।

 

कुछ पल

कईं बार

देते हैं

बहुत कुछ बदल।

 

कुछ पल

बस मिलते हैं

कुछ ही पल

नहीं उम्रभर

उन्हें वापिस लाने के लिए

 कोई

कर भी नहीं सकता कुछ।

 

कुछ पल

समझे जा सकते हैं

बस उन्हें

जीकर ही

कुछ पल।

                                                                                                         कुमार बन्टी

 

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