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कुछ भी नहीं छुपाता हूँ मैं माँ को सब कुछ बताता हूँ

कुछ भी नहीं छुपाता हूँ मैं माँ को सब कुछ बताता हूँ,
माँ मुझ पर प्यार लुटाती है मैं सब कुछ भूल जाता हूँ,
मैं भूखा जब हो जाता हूँ माँ मुझको खूब खिलाती है,
पर कभी कभी माँ मेरी चुप के भूखी भी सो जाती है,
मैं दूर कहीँ भी जाता हूँ माँ मुझको पास बुलाती है,
मैं माँ को भूल न पाता हूँ माँ मुझको भूल न पाती है।।
– राही (अंजाना)

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