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कृष्ण कहाँ रोता है…!!

आज मन में विचित्र-सा खयाल आया
मेरा मन दुःखा और भर आया
क्यों सदियों से प्रेंम की परीक्षा होती है
क्यों पुरुष के पीछे स्त्री रोती है
होती क्यों है हमेशा एकतरफा मोहब्बत
क्यों कृष्ण के लिए कोई राधा रोती है ?
उत्तर बहुत सीधा-सा था
कुछ जाना पहचाना-सा था
स्त्री ही जग की दाता है
स्त्री ही भाग्यविधाता है
पुरुष कल भी आभारी था
पुरुष आज भी आभारी कहलाता है
नारी ही ममता की देवी है
प्रेम की जीवित मूरत है
इसीलिए किसी की खातिर
प्रेम में कोई कृष्ण कहाँ रोता है !!
मीरा ही गाती है भक्ति के पद
और कृष्ण चैन की बंशी बजाकर सोता है..

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