कैसा है ये खयाल,, sunil verma 3 years ago कैसा है ये खयाल ऐसा है अपना हाल जैसे,,,, लठ्ठे जल के बनता हो राख राख के भीतर छोटी सी आग आग मरता रहता है हाल अपना वैसा है,, जैसे,,,,, गर्मी के दिन में सूरज कि ताप मन में रखकर बरखा कि याद ताप पत्थर सहता है हाल अपना वैसा है,,,