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कैसी होती मैं?

वो मेरी काली जुल्फ़ों को
घटाओं सा सुंदर कहते थे
आंखो को मेरी वो
ठहरा हुआ समंदर कहते थे
आज वो करीब नहीं तो
सोचती हूं अक्सर
कैसी होती मैं,
अगर वो होते साथ मेरे?

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