कैसे हैं Abhishek kumar 4 years ago उम्मीदों के दरवाज़े पर आस लगाये बैठे हैं । गुजरोगे जिन गलियों से तुम फ़ूल बिछाए बैठे हैं। एक दिन ऐसा भी आएगा शायद मेरे जीवन में तुम हमसे खुद आकर पूंछो-और बताओ कैसे हैं ।