कोई शजर शाख से बैर

कोई शजर शाख से बैर नहीं रखती
कोई शाख पत्तों को गैर नहीं रखती
अपने हौसलों से ही जहाँ मिलता है
कोई दरवाज़े पे किस्मत पैर नहीं रखती
राजेश’अरमान’

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