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कोमल मन

कोमल मन और आत्मा से
आवाज़ दे रही है आहटे
कुछ पन्ने किताबों के पलट कर
वक़्त आया है मिलने……
सिसकियां खामोश होकर
गुनगुना रही हैं कल के किस्से
और तन्हाइयां बटोर लाई हैं
तमाम यादें…..
चलो कुछ ताज़े पानी के छींटे……
मार कर उन्हें ताज़ा करें
जो यादें पीछे छूट गयी ….
और मखमली ख्वाब जो
ना पूरे हो पाये उन्हें
फिर से देखें और
सच कर दें
सारी ख्वाहिशे अपनी…..

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