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“कौमुदी से भरा प्याला”

नम हैं लोचन
तिमिर के
चारों तरफ फैला उजाला
चीरता तम को चला
कौमुदी से भरा प्याला
रात बैठी गगन में
देख अचरज चकित थी
आज धरती
गगन से भी मनमोहक थी,
स्वच्छ थी.
आसमां में जितने सितारे नहीं !
उतने दीप थे धरती
पर जल रहे
‘राम जी की जय हो’
‘लक्ष्मी-गणेश आपका सुस्वागतम्-सुस्वागतम्’
यह मानुष सभी थे कह रहे
जोर डाला अपनी स्मृति पर
तभी प्रशान्त ने
भ्रमण कर सबको बताया
दीपावली है हिन्द में….

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“आप सभी को ‘प्रज्ञा शुक्ला’ की ओर से
प्यार भरी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें”

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