क्यों कुछ कहते नहीं। प्रतिमा चौधरी 4 years ago क्यों कुछ कहते नहीं, सब गूंगे बहरे बैठे हैं , सबके भीतर जलती है आग, फिर क्यों खामोश बैठे हैं, खो दिया है सम्मान को , अपने भीतर के इंसान को, तभी तो चुप ही रहते हैं, होती है वारदातें आंखों के सामने , फिर क्यों ,आवाज दबाए रहते हैं।