क्यों घिरी ही अजीब सी कश्मकश में
रही हो सोच, पाऊँ या छोड़ दूँ प्यार को
बना नही वह तराजू जो तोले प्यार को
कौनसे बाज़ार में जा तुम यह तुलवाओगी
…… यूई
क्यों घिरी ही अजीब सी कश्मकश में
रही हो सोच, पाऊँ या छोड़ दूँ प्यार को
बना नही वह तराजू जो तोले प्यार को
कौनसे बाज़ार में जा तुम यह तुलवाओगी
…… यूई