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क्यों न आया बलम हरजाई

सावन भी आया अमावस भी आई।
रिमझिम फुहार संग पावस भी आई।।
बागों में , खेतों में छाई हरियाली।
हाथों में मेंहदी भी मैंने रचा ली।।
दिल के उपवन ने झूला लगाया।
मन के संदेशा से तुझको बुलाया।।
क्यों न आया बलम हरजाई
मैंने रो रो के रतिया बिताई।।

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