आदमी आज परेशान इतना क्यों है,
लुटा सा देखता अरमान क्यों है,
खुद के घर में बना मेहमान क्यों है,
इंसान है तो फिर बना हैवान क्यों है।
धड़कता दिल बना बेजान क्यों है,
जानता है सभी कुछ फिर बना अंजान क्यों है।
आदमी आज परेशान इतना क्यों है,
लुटा सा देखता अरमान क्यों है,
खुद के घर में बना मेहमान क्यों है,
इंसान है तो फिर बना हैवान क्यों है।
धड़कता दिल बना बेजान क्यों है,
जानता है सभी कुछ फिर बना अंजान क्यों है।