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खरोंच

अरसे बाद
वह सामने आए
मुसकराए, बात की,
जैसे कभी कुछ हुआ ही नहीं

बुत बने हम
देखते रह गए,
साँस भी न ले पाए
जैसे वक्त भी रुक गया उनके आ जाने से

कहने लगे
वक्त हो चला है
मेरे दिए ज़ख्म
कब तक दिखेंगे
भरने दो इन्हें

कैसे कह देते हम

ज़ख्म देखे कहाँ तुमने
जो देखा
वह तो खरोंच थी
लगी थी …
अभी अभी
उनके आ जाने से

 

– रिया

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