मजदूरों के हाथ
बहुत दिनो से खाली है
दोष एक का नहीं
दो हाथों से बजती ताली है
खालीपन अभिशाप बन गया
खाली उनकी थाली है
फसल उगी थी बहुत ही सुंदर
ले गया कोई बाली है
शासन की करतूत कहे क्या
देखो कितनी काली है
मजदूरों के हाथ
बहुत दिनो से खाली है
दोष एक का नहीं
दो हाथों से बजती ताली है
खालीपन अभिशाप बन गया
खाली उनकी थाली है
फसल उगी थी बहुत ही सुंदर
ले गया कोई बाली है
शासन की करतूत कहे क्या
देखो कितनी काली है