देख कर ही मेरे घर की टूटी हुई खिड़की,
जो फेर लिया मुँह तो अच्छा ही किया तुमने,
छोड़ दिया साथ जब इतनी सी ही बात पर,
अच्छा ही किया मेरा टूटा हुआ मकाँ देखा ही नहीं तुमने॥
राही (अंजाना)
देख कर ही मेरे घर की टूटी हुई खिड़की,
जो फेर लिया मुँह तो अच्छा ही किया तुमने,
छोड़ दिया साथ जब इतनी सी ही बात पर,
अच्छा ही किया मेरा टूटा हुआ मकाँ देखा ही नहीं तुमने॥
राही (अंजाना)