खुली किताब नहीं मासूम खिज़राबादी 7 years ago एक ही झटके में सबकुछ समझ जाओ तुम मेरा जीवन ऐसी कोई खुली किताब नहीं राह हासिल करने को गंदी नाली को स्वीकारले ऐसा ये कोई बेवकूफ आब नहीं। -कुमार बन्टी