खूब मनाओ तुम खुशी, इतना रख लो ध्यान,
चमड़ी जिनकी खा रहे, उनमें भी है जान।
उनमें भी है जान, मगर तुम खून पी रहे,
पीकर खून निरीह का, खुशियां क्यों ढूंढ रहे।
कहे ‘कलम’ यह बात, आज तो इन्हें न काटो,
नए साल की खुशियां, तुम इनमें भी बांटो।
खूब मनाओ तुम खुशी, इतना रख लो ध्यान,
चमड़ी जिनकी खा रहे, उनमें भी है जान।
उनमें भी है जान, मगर तुम खून पी रहे,
पीकर खून निरीह का, खुशियां क्यों ढूंढ रहे।
कहे ‘कलम’ यह बात, आज तो इन्हें न काटो,
नए साल की खुशियां, तुम इनमें भी बांटो।