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खेलें हम अन्तराक्षरी

सावन के इस मंच पर
कवियों का है संगम।
सुंदर सुहानी संध्या में
छोड़ें कुछ सरगम।।
दो पद हम लिखते हैं
दो पद तुम भी गाओ।
खेलें हम अन्तराक्षरी
निज कवित्त सुनाओ।

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