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खेल

जिंदगी खेलती है खेल
हर लम्हा मेरे साथ
नहीं जानती गुजर गया बचपन
इक अरसा पहले
खेल के शोकीन इस दिल को
घेर रखा है अब
उधेड़ बुनों ने कसकर
अब इनसे निकलूं तो खेलूं
कोई नया खेल जिंदगी के साथ|

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