खोजता मन है खिलौना
आसमां छत धरा बिछोना
गेहूं की बाली सी कोमल
और स्वर्ण सी जटाएं
बोलती मिश्री हैं मन में
काली-काली ये फिजाएं
धुंध छाए आसमां पर
कौंध बिजली की उठी
लिपटकर स्वर्ण रश्मि से
एक कली मन में खिली
तीक्ष्ण गन्ध से मन हरा
हो गया सुन्दर सलोना
खोजता मन है खिलौना
खोजता मन है खिलौना ।।