Site icon Saavan

ख्वाब में वो ख्वाब क्यों (विषम छन्द का एक रूप)

उपवन में फूल खिले, महक आई
सुबह सुबह की मारुत, उड़ा लाई।
याद आया वह मुझे, नलिनी फूल,
या नासिका से जुड़ी, यह है भूल।
देख अनदेखा किया, जाते रहे
ख्वाब में वो ख्वाब क्यों, आते रहे।
हम विदाई गीत यूँ, गाते रहे
चल दिये थे जो वही, भाते रहे।
एक निठुराई सी हम, पाते रहे
क्यों जुड़े उनसे मगर, नाते रहे।
आंसुओं को बस निगल, खाते रहे,
ठेस उनकी ओर से, खाते रहे।
*****
काव्यस्वरूप- विषम छन्द स्वरूप

Exit mobile version