ख्वाहिशों के बाजार Ritika bansal 4 years ago ख्वाहिशों के बाजार में आयी हूं कुछ खरीदने की खातिर मगर दाम ही इतने है हर ख्वाहिश के कि खाली हाथ ही वापस चली, बन मुसाफ़िर