गमों के आसमान का तू परिंदा क्यों है राही अंजाना 6 years ago गमों के आसमान का तू परिंदा क्यों है, झूठी उम्मीदों की ज़मी पर तू ज़िंदा क्यों है, सिकोडे हैं हौंसलों के तू क्यों पर अपनें, उम्मीदों पर न टिके तू वो वाशिंदा क्यों है।। राही (अंजाना)