गम तो तिल भर भी उसे छू न सके Satish Chandra Pandey 5 years ago गम तो तिल भर भी उसे छू न सके ए खुदाया तू मेहरबान हो जा, मित्र है वह मेरा निराला सा उसके चेहरे का इब्तिसाम हो जा।