दु:शासन दुर्योधन की जोङी
कबतक गुल खिलाएगी
एक दिन चौसर की गोटी
खुद उनको नाच नचाएगी —
दिन बदलते ही जिनकी फितरत बदले
थोड़ी सी भी लाज नहीं,पलपल जिनकी हसरत बदले
लाभहानि के सौदे पे टिकी दोस्ती
कबतक खैर मनाएगी—–
सिंह के खाल में छिपा भेङिया
पंजा उंगली की नीति जिसने बनायी है
कभी अरूणाचल कभी लद्दाख तक
कैसी गिद्ध दृष्टि दौङाई है
नेपाल तिब्बत को कुतरने वाले,
भारत क्या भूटान तुझे सिखाएगा —
सुमन आर्या