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गुरू

गुरू वन्दन

गुरू वन्दन चरणों में करता हूं
शीश झुका कर अभिनन्दन करता हूं
मैं हूं बड़ा अभागा संसार में
ज्ञान कि ज्योति जलाये रखना
जीवन के अंधियारो में
प्रकाश का दीप जलाये रखना

गुरू वन्दन चरणों में करता हूं
शीश झुका कर अभिनन्दन करता हूं
मैं हूं एक छोटा सा तिनका
अपने शरण में रखना मुझको
ज्ञान कि सागर से मुझको
आशीष समर्पित करते रहना

गुरू वन्दन चरणों में करता हूं
शीश झुका कर अभिनन्दन करता हूं
नई राह नई दिशा दिखला कर
हमको नेक काबिल इंसान बना देना
अंधेरे में एक दीप जलाकर
जीवन पथ पर चलना सीखा देना

गुरू वन्दन चरणों में करता हूं
शीश झुका कर अभिनन्दन करता हूं
मेरे पथ को रोशन करना
जीवन को सफल बना देना
धैर्य सौर्य ज्ञान का पाठ पढ़ा कर
हमको भव से पार लगा देना

गुरू वन्दन चरणों में करता हूं
शीश झुका कर अभिनन्दन करता हूं
जीवन के पथ पर सदैव हमें
हे गुरुदेव अग्रसर रखना
जीवन के अंधियारे में ज्योति जलाते रहना
अज्ञानता को दुर करके मेरे ज्ञान का दीप जलाना

महेश गुप्ता जौनपुरी

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