हो चुकी है रात
चारों ओर छाया है अंधेरा
चाँद आया ही नहीं
तारों में छाई है उदासी।
टिमटिमा कर कह रहे हैं
किस तरह से अब कटेगी
रात तन्हाई भरी।
एक पखवाड़े की होगी
चाँद से अपनी जुदाई,
याद करके वह जुदाई
मन में सिहरन है भरी।
हो चुकी है रात
चारों ओर छाया है अंधेरा
चाँद आया ही नहीं
तारों में छाई है उदासी।
टिमटिमा कर कह रहे हैं
किस तरह से अब कटेगी
रात तन्हाई भरी।
एक पखवाड़े की होगी
चाँद से अपनी जुदाई,
याद करके वह जुदाई
मन में सिहरन है भरी।