Site icon Saavan

चाँद आया ही नहीं

हो चुकी है रात
चारों ओर छाया है अंधेरा
चाँद आया ही नहीं
तारों में छाई है उदासी।
टिमटिमा कर कह रहे हैं
किस तरह से अब कटेगी
रात तन्हाई भरी।
एक पखवाड़े की होगी
चाँद से अपनी जुदाई,
याद करके वह जुदाई
मन में सिहरन है भरी।

Exit mobile version