हमने बिछाई हैं
कई बार राह में पलकें
वो भी पलट के देखेगा
यह उम्मीद
नहीं रखती हूँ
जब से देखी है सनम की सूरत मैनें
तब से मैं
चाँद को चाँद नहीं कहती हूँ!!
हमने बिछाई हैं
कई बार राह में पलकें
वो भी पलट के देखेगा
यह उम्मीद
नहीं रखती हूँ
जब से देखी है सनम की सूरत मैनें
तब से मैं
चाँद को चाँद नहीं कहती हूँ!!