चांद से Pt, vinay shastri 'vinaychand' 3 years ago ऐ चाँद भला क्यों इतरा रहे हो जल्दी छत पर आओ ना। भूखी-प्यासी प्यारी मेरी कब से बाट निहारे आओ ना।। कितनी सज-धज के आई अब तो यूँ इतराओ ना। जल भी है मिष्ठान्न भी है फल फूलों का भोग लगाओ ना।।