चांद.. Sonit Bopche 8 years ago कल फिर गया था मैं घर की छत पर उस चांद को देखने इस उम्मीद में की शायद तुम भी उस पल उसे ही निहार रही होंगी देख रही होंगी उसपर बने दाग के उस भाग को जिसे मैं देख रहा था.. आखिर.. प्यार भी अजीब हैना.. मिलने के कैसे-कैसे बहाने ढूंढ लेता है.. -सोनित