ना जाने कितनी परीक्षाओं से
गुजरना पडे़गा
आखिर और कितना
पिसना पडे़गा
नसीहत सब देते हैं पढ़ने की
अब नौकरी के लिए क्या
किताबें घोलकर पीना पडे़गा
अरमां हैं आसमान छूने के
पर हकीकत की जमीन पर
ही रहना पडे़गा
युवावस्था में क्या यूं ही
आत्मनिर्भर का पाठ पढ़ना पडे़गा
अगर पता होता कि
ऐसा कुशासन आएगा
युवा बैठकर यूँ ही गाल बजाएगा
जीवन भर पकौडे़
तलने पडे़ंगे
फसेगीं भर्तियां कोर्ट में
धरना देने पर पड़ेेगे कोड़े
ना पढ़ाई में पैसा बहाते
ना किताबों में आँखें गडा़ते
ना व्यर्थ करते अपनी जवानी
ढाबा खोलकर सबको कराते
चाय-पानी !!