खुद खुश रहना औऱ सभी को
खुश रखना हो जीवन का पथ,
याद रखो नश्वर है जीवन
मिट जाना है बस इसका सच।
तेरा-मेरा मेरा-तेरा
कहते-कहते बीते पल-क्षण
अंत समय तक समझ न पाया,
जीवन का सच्चा सच यह मन।
चैन गंवा कर खूब कमाया,
जमा किया जो खाते में धन,
खाने तक का समय नहीं था,
जीवन भर का था पागलपन।
कुछ भी हाथ नहीं रहता है
आशा में रह जाता है सब
अतः देखकर यह सारा सच
खुश रहने की ठानो तुम अब।
———- चौपाई छन्द में रचना।
————– डॉ0 सतीश चंद्र पाण्डेय