Site icon Saavan

छुपाओ ना

उलाहना के भाव पढ़ लो ना
घट रही दूरियां बढ़ा लो ना,
हाँ कहो ना कहो जरा बोलो
उठ रहा दिल में जो बता दो ना।
बेवजह इस तरह से दिल में
आ रहे बोल को छुपाओ ना
नफ़रतें हैं तो उनको आने दो
मन के बक्से में यूँ छुपाओ ना।
अब भी नजरें हमारी ओर घुमा
बैर में चाहतें बुलाओ ना,
तीर-तरकश से अंग शोभित कर,
इस कदर आज तुम लुभाओ ना।

Exit mobile version