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‘जन्नत की हुकूमत’

दीदार बिन यार के महफिल अधूरी है

हर किसी की प्यार बिन जिन्दगी अधूरी है

मिल जाए चाहे मुझको जन्नत की
हुकूमत भी !

मेरे यार के बिन प्यार के ये प्रज्ञा* अधूरी है||

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