‘जन्नत की हुकूमत’
दीदार बिन यार के महफिल अधूरी है
हर किसी की प्यार बिन जिन्दगी अधूरी है
मिल जाए चाहे मुझको जन्नत की
हुकूमत भी !
मेरे यार के बिन प्यार के ये प्रज्ञा* अधूरी है||
दीदार बिन यार के महफिल अधूरी है
हर किसी की प्यार बिन जिन्दगी अधूरी है
मिल जाए चाहे मुझको जन्नत की
हुकूमत भी !
मेरे यार के बिन प्यार के ये प्रज्ञा* अधूरी है||
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प्रज्ञा जी, ❤बहुत खूब👌👌👌👌
आभार rishi
सुंदर
बहुत ख़ूब