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जब भी बादलों से उतर के आती है बारिश

जब भी बादलों से उतर के आती है बारिश,

ज़मी को खुल के गले से लगाती है बारिश,

भिगा देती है तन संग मन के मेरे आँगन को,

जब सब कुछ मुझको खुल के बता देती है बारिश,

दोस्ती है गहरी किससे कितनी पुरानी,

दिखता है हवाओं से जब हाथ मिला लेती है बारिश।।

– राही (अंजाना)

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